Your Smart Phones Control you: कहीं आपका फोन आपको कंट्रोल तो नहीं कर रहा, डिजिटल जागरूकता ही है बचाव

Your Smart Phones Control you: मोबाइल फोन अब हमारे जीवन का ज़रूरी हिस्सा बन गया है। आजकल तमाम तरह की जरूरत की चीजें स्मार्टफ़ोन के जरिये मिनटो में पूरी हो जाती है। परन्तु क्या आप जानते है कही ना कही स्मार्ट फोन पर हद से ज्यादा निर्भर हो गए है। कई मामलों में तो फोन हमें नियंत्रित भी कर रहा है और वो कैसे कर रहा है और कैसे इससे बचा जा सकता है इस लेख में हम आपको यही बताने जा रहे है। आप इस जानकारी को जरूर पढ़े और इसे अपने प्रिय जनों के साथ share भी करे ताकि वो भी जागरूक हो  सके ।

स्मार्टफोन आजकल जीवन का अहम हिस्सा बन गया है स्मार्टफोन के बिना आजकल सामान्य जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती स्मार्टफोन की सहायता से हमारे सारे जरूरी काम मिनट में निपट जाते हैं। चाहे बैंक संबंधी वित्तीय लेनदेन का कार्य हो प्रोजेक्ट का या फिर मार्केट से कोई सामान मंगवाना हो या बच्चों की पढाई से संबंधित ऑनलाइन क्लासेस हो  सब में स्मार्टफोन की अहम भूमिका है। परंतु ये तकनीक हमारे जीवन में कितने अंदर तक घुस चुकी है अगर इसे आप जानेंगे तो चौंक जाएंगे। आज के इस डिजिटल युग में अपनी प्राइवेसी को संभालना मुश्किल हो गया है। अनेक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे ट्विटर इंस्टाग्राम फेसबुक स्नैपचैट व्हाट्सएप इत्यादि के हम इतने आदी हो चुके हैं कि उनके बिना सामान्य जीवन की कल्पना भी मुश्किल है। आजकल के इस दौर में लगभग हर शख्स सोशल मीडिया पर मौजूद है हर तरह के व्यापारिक संगठन सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि बदलते वक्त के साथ आधुनिक युग में यह चीज सामान्य भी हैं परंतु एक सत्य यह भी है कि आज के इस डिजिटल युग में हम तकनीक के इतने आदी होते जा रहे हैं कि कभी-कभी प्रतीत होता है कि यह इंसान द्वारा बनाई गई तकनीक इंसान को यह अपना आदि बना रही है एक तरह से यह तकनीक हमें नियंत्रित कर रही है। किस तरह से इस डिजिटल युग में मनुष्य इस तकनीक आदि होता जा रहा है लिए इसका विश्लेषण करते हैं।

सोशल मीडिया का एल्गोरिथम कैसे आपको नियंत्रित करता है

आज के इस तकनीकी युग में सभी सोशल मीडिया कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम कर रही हैं यह तकनीक बहुत ही उन्नत है और आम आदमी की समझ से बिल्कुल बाहर है हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ज्ञान है भी तो केवल उठना है जितना यह हमारे काम आती है परंतु सोशल मीडिया साइट्स इसका जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं उदाहरण के तौर पर जैसे हम कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उसे करते हैं तो उसका एल्गोरिथम एक तरह से हमारा उसे साइट को उसे करने के आधार पर हमारी पसंद पहचान लेता है वह हमें वही चीज ज्यादा दिखाएगा जो हम देखना चाहते हैं इसकी वजह से हम सोशल मीडिया पर और ज्यादा समय बिताएंगे अब जितना ज्यादा इन प्लेटफार्म को यूज करेंगे। उसे प्लेटफार्म का उतना ही फायदा होगा जैसे आप लंबे समय तक यूट्यूब पर कोई वीडियो देखते हैं तो वह बीच-बीच में आपको विज्ञापन भी दिखता है जिस कंपनी का फायदा होता है अगर आप उसे मीडिया प्लेटफॉर्म पर जरूर से ज्यादा समय बिताते हैं इसमें उनका ही फायदा है।

ई-कॉमर्स कंपनियों भी ऐसे ही काम करती हैं

अगर हम इ कॉमर्स कंपनियों की बात करें जहां से हम अक्सर अपनी दैनिक जरूरत की वस्तुएं खरीदते हैं और वह हमारे घर तक पहुंच जाती हैं जैसे हमने अपनी पसंद के जैकेट जूते फोन इत्यादि अन्य सामान भी खरीदते हैं वह भी एक तरह से एल्गोरिदम तकनीक से हमारी पसंद पहचान लेती हैं हमें उन्हीं चीजों के विज्ञापन ज्यादा दिखाई जाएंगे जिन्हें हम पसंद करते हैं इससे यह पॉसिबिलिटी बढ़ जाती है कि हम उन चीजों को खरीदेंगे भी अगर हम जरूर की चीज खरीद रहे तक है तो यह सही भी है। परंतु इस एल्गोरिथम में फंसकर कई बार हम गैर जरूरी सामान भी खरीद लेते हैं क्योंकि हमें शॉपिंग करने के लिए बेहतरीन ऑफर दिखाए जाते हैं इन ऑफर की वजह से अक्सर हमें ऐसी चीज खरीद लेते हैं जिनकी हमें बेहद कम जरूरत होती है ऐसे में एक तरह से यह तकनीक इंसान को काफी हद तक प्रभावित कर रही है।

प्राइवेसी का भी हो रहा है हनन

आज के इस डिजिटल युग में  जाने अनजाने में हमारी प्राइवेसी का भी हनन हो रहा है जब हम सोशल मीडिया साइट्स को उसे करते हैं तो जाने अनजाने हम अपनी निजी जानकारियां भी कई बार उन साइट्स पर डाल देते हैं अपने फोटो वीडियो घर का एड्रेस अपने घूमने आने जाने के प्लान हम जाने अनजाने में सोशल मीडिया साइट्स पर शेयर करते रहते हैं कई स्कैमर और सामाजिक तत्व इस चीज का फायदा उठा सकते है। अक्सर ऐसी कई घटनाएं भी देखने में आई है की सोशल मीडिया की वजह से लोगों के साथ कई अपराध और स्कैन हुए हैं। सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रकार के जाल बिछाकर अक्सर नाबालिक बुजुर्गों महिलाओं, और जिन लोगों को थोड़ा काम तकनीकी ज्ञान है उनके  साथ अक्सर स्कैन या विभिन्न प्रकार के अपराध या घोटाले की खबरें अक्सर आती रहती हैं। जाने अनजाने में हम फोन में कोई ऐप इंस्टॉल करते हैं और उसको जल्दी-जल्दी में विभिन्न प्रकार की अनुमति दे देते हैं जिससे हमारे फोन की नहीं की जानकारियां वित्तीय बैंक संबंधी जानकारी हमारे निजी चित्र और अन्य जानकारियां उन तक पहुंच जाती हैं जिसके माध्यम से वह हमारे साथ कोई भी स्कैम कर पाते है।

स्मार्टफोन के इस डिजिटल युग में खुद को कैसे सुरक्षित रखें

हमें एक बात अच्छे से जान लेनी चाहिए कि आज के इस डिजिटल युग में हम अपने फोन लैपटॉप कंप्यूटर इत्यादि के माध्यम से ही इस आधुनिक दुनिया से जुड़े हुए हैं अगर हम इनका इस्तेमाल सावधानी पूर्वक करेंगे तो इस डिजिटल युग में हम खुद को काफी हद तक सुरक्षित रख सकते हैं इसके लिए हमें निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए

सोशल मीडिया एप्स का उपयोग सावधानी से करें

हमें आजकल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का प्रयोग बड़ी ही सावधानी से करना चाहिए आजकल सोशल मीडिया को उसे करना एक फैशन बन गया है अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया से अनभिज्ञ है तो उसे एक तरह से अनपढ़ों की श्रेणी में माना जाता है हम अपनी जरूरत के हिसाब से  सावधानी पूर्वक सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं तो यह काफी हद तक सही है। परंतु हम अक्सर यही जाने अनजाने में कई गलतियां करते हैं हम कई बार सोशल मीडिया पर अपनी जरूरत से ज्यादा जानकारी शेयर कर देते हैं हम अक्सर अपनी निजी जीवन की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर साझा करते रहते हैं। और सोशल मीडिया पर कई बार हमारे मित्र सूची में कई अनजान लोग भी ऐड हो जाते हैं जिसे हमारी नहीं की जानकारी और तस्वीरों का गलत हाथों में जाने का डर उत्पन्न हो जाता है और अक्सर ऐसा देखने में आया भी है अक्सर ऐसे केस देखने में आते हैं जिनमें सोशल मीडिया से किसी की तस्वीर चुराकर ai  माध्यम से उन तस्वीरों का गलत इस्तेमाल किया जाता है और फिर वही तस्वीर दिखाकर संबंधित व्यक्तियों को ब्लैकमेल तक किया जाता है। ऐसे डिजिटल अपराधों को लेकर अभी तक विकसित देशों की पुलिस भी इतनी आधुनिक नहीं हो पाई है कि वह इन अपराधियों को आसानी से पकड़ सके ऐसे में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते समय हमें खुद ही सावधानी बरतनी चाहिए कभी भी अपनी सोशल मीडिया की मित्र सूची में अनजान लोगों को ऐड ना करें। और आपने नहीं की जानकारियां सोशल मीडिया पर साझा करने से बचें। अपनी निजी तस्वीरों को भी सोशल मीडिया पर डालते समय बेहद सावधानी बरते ऐसे कई सावधानियां बरतकर।इस डिजिटल युग में खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

मोबाइल फोन में नई एप्स  इंस्टॉल करते समय बेहद सावधानी बरतें

हम अपने स्मार्टफोन में अपनी जरूरत के हिसाब से कई ऐप इंस्टॉल करते हैं कोई भी ऐप इंस्टॉल करते समय हमें बेहद सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि हम फोन में जिन एप्स का इस्तेमाल करते हैं वह ऐप्स हमारे फोन की अधिकतर जानकारी की एक्सेस ले लेती है इसलिए वह फोन में कोई भी अप हमेशा प्ले स्टोर से ही डाउनलोड करें और जब इंस्टॉल करने के बाद वह App आपसे परमिशन मांगती है तो उसे समय उसे जो जरूरी हो इस चीज की अनुमति दें। क्योंकि हम जैसे ही जी ऐप को परमिशन देते हैं उसे हमारे फोन की एक्सेस मिल जाती है। इसलिए फोन में कोई भी ऐप डाउनलोड करते समय बेहद सावधानी बरते हैं किसी भी अनजान लिंक से कोई ऐप वगैरा डाउनलोड बिल्कुल भी ना करें।

ई-कॉमर्स वेबसाइट का इस्तेमाल सावधानी से करें

जब हम ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो भी हमें बेहद सावधानी बरतनी चाहिए हमेशा reputad वेबसाइट से ही ऑनलाइन शॉपिंग करनी चाहिए. कई बड़ी रिप्यूट ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने अप बना रखे हैं अप के माध्यम से ही इन वेबसाइट से खरीदारी करें ऑनलाइन शॉपिंग करने से पहले संबंधित ई-कॉमर्स प्लेटफार्म की अच्छे से जांच पड़ताल कर लें हमेशा ऑफिशल वेबसाइट से ही खरीदारी करें। ई-कॉमर्स वेबसाइट पर अपना एड्रेस इत्यादि निजी जानकारी डालते समय भी बेहद सावधानी बरते जरूर से ज्यादा जानकारियां साझा ना करें। ऑनलाइन पेमेंट करते समय भी बेहद सावधानी बरतें पॉसिबल हो तो कैश ऑन डिलीवरी का उपयोग करें। ई-कॉमर्स कंपनियों से जब आप खरीदारी करते हैं तो जो प्रोडक्ट आप खरीदने जा रहे हैं उसके बारे में भी थोड़ी जानकारी हासिल कर ले। ऐसे करके आप काफी हद तक धोखाधड़ी से बच सकते हैं और खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

स्मार्टफोन उसे करने वाले बच्चे और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें

साइबर फ्रॉड करने वाले साइबर अपराधी अक्सर छोटे बच्चों और बुजुर्गों को अपना निशाना बनाते हैं हमारे घरों में जो छोटे बच्चे और बुजुर्ग लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं तो हमारी जिम्मेवारी है समय-समय पर उन पर नजर बनाए रखें और उनके फोन की जांच करते रहें बच्चों और बुजुर्गों को इस बारे में जागरूक भी करते रहें कि वह कभी भी अपनी निजी जानकारियां किसी भी अप या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा ना करें। हमेशा ध्यान रखें की जागरूकता के माध्यम से ही इस डिजिटल युग में खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है।

सार्वजनिक वाई-फाई पर बेहद सावधान बरते

सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क आपकी cyber सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं, क्योंकि वे प्रायः अनएन्क्रिप्टेड होते हैं और हैकर्स द्वारा आसानी से इंटरसेप्ट किए जा सकते हैं। तो सार्वजनिक वाई-फाई का उसे करते समय हमेशा बेहद सावधानी बरतें।

ईमेल का इस्तेमाल बेहद सावधानी से करे

ईमेल साइबर अपराधियों के लिए एक सामान्य आक्रमण माध्यम है, जो उपयोगकर्ताओं से संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने के लिए फ़िशिंग घोटाले और अन्य युक्तियों का उपयोग करते हैं। आपको अपनी ईमेल पर कभी भी कोई सस्पाइसियस लिंक दिखाई दे तो उसे पर बिल्कुल भी क्लिक न करें अक्सर साइबर अपराधी आपको ऐसे लिंक के साथ मेल करते हैं जैसे ही आप उसे मेल पर क्लिक करते हैं तो आपके साथ साइबर फ्रॉड होने के चांस बढ़ जाते हैं लिक के साथ अक्सर कई बार वायरस अटैक होते हैं वह आपके फोन पर घुसकर आपकी जानकारियां चुराते हैं।

बैंकिंग और वित्तीय अप यूपीआई इत्यादि का पासवर्ड बेहद स्ट्रांग बनाएं

हम अक्सर अपने मोबाइल फोन में अनेक वित्तीय और अपि बैंकिंग ऐप्स इत्यादि का उपयोग करते हैं उनका पासवर्ड बेहद स्ट्रांग बनाना चाहिए ताकि कोई आसानी से पासवर्ड को हक ना कर पाए और कभी भी अपनी बैंकिंग में वित्तीय संबंधी जानकारियां कहीं भी साझा ना करें।विश्वसनीय ई-चैनल के माध्यम से भुगतान करें। ऑनलाइन भुगतान करते समय OTP को बायपास करने वाले व्यापारियों से सावधान रहें। ऑटो पेमेंट के लिए पंजीकरण न करें। घर के बड़े बुजुर्गों को भी इस बारे में जागरूक करें।

आपकी सेहत पर भी असर डालता है स्मार्टफोन

एक पल रुकें और सोचें कि सोशल मीडिया पर आपकी सीमाएँ क्या हैं यह आप खुद से पूछें कि क्या आप हिंसक तस्वीरें या परेशान करने वाली न्यूज़ क्लिप देख सकते हैं। किसी खास कंटेंट के लिए अपनी सीमा को समझने के लिए, इस बात पर ध्यान दें कि कुछ खास कंटेंट आपको शारीरिक और भावनात्मक रूप से कैसे प्रभावित करते हैं। अगर कंटेंट की वजह से शारीरिक प्रतिक्रियाएँ होती हैं जैसे कि आपका दिल तेज़ी से धड़कना, आपका मूड बदलना, या अगर कोई तस्वीर या वीडियो आपके दिमाग में बार-बार घूमता रहता है, तो अपने दिमाग और शरीर से आने वाले इन संकेतों को मूल्यवान संकेतों के रूप में लें और  सुनें कि वे आपको क्या बता रहे हैं।  अगर कोई भी चीज आपको ऐसा मानने लगती है तो उससे दूरी बनाएं और उसे ना देखें । सोशल मीडिया का उपयोग करते समय समय सीमा निर्धारित करना और डिजिटल ब्रेक लेना याद रखना महत्वपूर्ण है। इसमें ऑनलाइन जाने के लिए दिन के दौरान विशिष्ट विंडो शेड्यूल करना और परीक्षा से पहले, किसी महत्वपूर्ण मीटिंग या सोने के समय जैसे समय से बचना शामिल हो सकता है। एक रिसर्च में पाया गया है की  जो किशोर दिन में 3 घंटे से अधिक समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं, उनमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने की संभावना अधिक होती है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स का सुझाव है कि परिवार ऑनलाइन बिताए जाने वाले समय को प्रबंधित करने में मदद के लिए एक संरचित सोशल मीडिया योजना बनाने के लिए मिलकर काम करें।

इंटरनेट पर गलत सूचनाओं से सावधान रहें

इंटरनेट पर जानकारी तो बहुत सारी है परंतु सारी जानकारी सच नहीं होती है कुछ लोग तथ्यों के बजाय अपनी भावनाओं के आधार पर बातें शेयर करते हैं। अगर आपको कोई ऐसी बात पता चलती है जो आपको तनाव में डाल देती है, तो एक पल रुकें और भरोसेमंद स्रोतों से कुछ तथ्य-जांच करने पर विचार करें।अगर आपको संदेह है कि आपको निशाना बनाया गया है या आपके साथ छेड़छाड़ की गई है, तो तुरंत इंटरनेट से डिस्कनेक्ट करें, उचित अधिकारियों या अपने संगठन के आईटी विभाग को घटना की सूचना दें और आगे की कार्रवाई के लिए उनके मार्गदर्शन का पालन करें।

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