Haryana Breaking: हरियाणा में पंचायती जमीन पर कब्जा करने वालों को सावधान हो जाना चाहिए समय रहते उन्हें पंचायती व सरकारी जमीन पर कब्जा खाली कर देना चाहिए अन्यथा वह लोग मुसीबत में फँसने जा रहे हैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हरियाणा सरकार अब अवैध कब्जाधारियो पर कड़ी कार्रवाई करने जा रही है। जानिए क्या है पूरा मामला
हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने जून में एक आदेश जारी किया था जिसमें पंचायती जमीनों पर कब्जे को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी हुआ था। नोटिफिकेशन में साफ कहा गया था की हरियाणा में पंचायती शामलात और किसी भी प्रकार की सार्वजनिक जमीन पर किए गए अवैध कब्जे के बारे में चेतावनी दी गई थी। जिन लोगों ने हरियाणा में किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा कर रखा है। उन्हें सावधान हो जाना चाहिए और कानूनी कारवाई से बचने के लिए कब्जा खाली कर देना चाहिये। यदि कोई सख्स अवैध कब्जा किये हुए पाया जाता है तो उस पर धारा 7(5) के तहत करवाई की जायेगी। इसके तहत दोषी पाए जाने पर 2 साल की सजा हो सकती है। इसके इलावा दोषी पाए जाने पर जिलाधिकारी जुर्माना भी लगा सकता है। 30 दिन तक जुर्माना ना चुकाने पर जुर्माना लैंड रेवेनु से रिकवर किया जा सकता है। जुर्माना ना चुकाने पर 2 साल की अतिरिक्त सजा भी हो सकती है।
ऐसे कर सकते है अवैध कब्जे की शिकायत
पंचयाती जमीन से अवैध कब्जा हटवाने के लिए कोई भी गांव का निवासी अथवा ग्राम पंचायत का कोई सदस्य या गांव का सरपंच या ग्राम पंचायत विभाग का कोई अधिकारी ग्राम शामलात भूमि (विनिमय) अधिनियम 1961 की धारा 7 के तहत सीधे कलेक्टर को इसकी शिकायत कर सकता है वह एक सामान्य पत्र पर लिखकर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। वह एक सामान्य पत्र पर अपनी शिकायत को लिखकर उसे जिला उपयुक्त एसडीएम कार्यालय तहसील कार्यालय अथवा ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर या फ़िर सीधे सचिवालय और संबंधित मंत्रालय को पत्र भी लिख सकता है। भविष्य में हरियाणा सरकार पोर्टल के माध्यम से भी शिकायत की व्यवस्था कर सकती है ताकि शिकायतकर्ता को शिकायत करने में आसानी हो। शिकायतकर्ता का नाम भी गुप्त रखा जाएगा। ताकि लोग भू माफ़िया के खिलाफ़ खुल कर शिकायत दर्ज कर सके। आने वाली शिकायतों को लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों की जवाब देही भी तय की गई है।
पंचायती जमीन पर कब्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कड़े दिशा निर्देश
पंचायती जमीनों पर कब्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख बेहद सख्त दिखाई दे रहा है सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को कई बार निर्देश दिए हैं कि वह अवैध कब्जों के संबंध में कठोर कार्रवाई करें कोर्ट में कारण भी पूछा कि अभी तक अवैध कब्जों के संबंध में क्या कार्रवाई की गई है और आगे क्या कार्रवाई की जानी है। कुछ जगहों पर कार्रवाई हुई भी है और कब्जे खाली करवाए गए हैं लेकिन काफी स्थानों पर अवैध कब से अब भी काबिज है। इनिया वेद कब्जों को लेकर अब अधिकारियों को कोर्ट की ओर से कड़े निर्देश दिए गए हैं। वही इस विषय में पंचायती विभाग में मीडिया को बताया कि कई बार अवैध कब्जों की निशानदेही करते समय पुलिस के इंतजार में अधिकारियों या पंचायत के निष्क्रिय होने से अवैध कब्जे हटाने में अनावश्यक देरी होती है और कब्जे ज्यों के त्युु बने रहते हैं। ग्राम पंचायत को उसकी भूमि पर कब्जा ना दिलवाना एक तरह से पंचायत और संबंधित अधिकारियों की निष्क्रियता का प्रमाण ही माना जाता है ।
एक सर्वे के मुताबिक गुड़गांव और फरीदाबाद में है सबसे ज्यादा अवैध कब्जे
रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने सभी जिला उपायुक्तों को अपने-अपने जिले की पंचायती जमीन का सर्वे के माध्यम से कब्जाधारियों का पता लगाने के निर्देश दिए गए थे। जिलाधीशों की सर्वे में यह बात सामने आयी कि आधा फरीदाबाद सहर और आधा गुरुग्राम पंचायती एवं शामलाती जमीन पर बसा हुआ है।
इन सहरो में कब्जाधारी कई सालों से पंचायत/शामलाती जमीन पर अपना कारोबार कर रहे हैं जिन्हें हटाना भी बिल्कुल आसान नहीं है। दूसरी ओर प्रदेश में किसान संगठनों ने भी पट्टेदार, ढोलीदार, बुटमीदार, मुकरीरदार तथा काश्तकारों को उस जमीन का मालिकाना हक देने की मांग को लेकर आंदोलन भी शुरु कर दिए। इन जिलों के विकास एवं पंचायत विभाग के रिकार्ड के अनुसार जिले के सभी गांवों में बड़ी संख्या में लोगों ने पंचायत की जमीन पर लंबे समय से अवैध कब्जा कर रखा है। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालयों में अवैध कब्जों की आ रही शिकायतों के आंकड़ों पर नजर डालकर देखें तो प्रत्येक गांव में बसासत के साथ लगती पंचायत की 50 से 60 भूमि पर लोगों ने अवैध कब्जा जमा रखा है। जिनमें सैकड़ों आबादकार शामिल हैं। इसके अलावा पंचायत की कृषि भूमि पर भी 20 से 25 प्रतिशत अवैध कब्जे किए गए हैं। हरियाणा की अधिकतर पंचयाती भूमि पंचायतों के अधीन आती हैं, और इनकी सुरक्षा करना पंचायत और सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी है।
कब्जे हटाने में अधिकारियों का ढुलमुल रवैया अब बर्दास्त नहीं
माननीय उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने भी समय-समय पर निर्देश दिए हैं कि इन जमीनों से अवैध कब्जों को हटाया जाए। हालांकि, अब तक इन आदेशों का पूरी तरह से पालन नहीं हो सका है, और कई पंचायती जमीनों पर अवैध कब्जे बने हुए हैं. प्रदेश के विकास एवं पंचायत विभाग ने स्पष्ट किया है कि अक्सर निशानदेही की प्रक्रिया में देरी या पुलिस सहायता के इंतजार में अवैध कब्जों को हटाने में समस्या आती है। इस देरी का मुख्य कारण पंचायत और संबंधित अधिकारियों की निष्क्रियता है, जो समय रहते कार्रवाई नहीं कर पाते। विभाग ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई करने का आदेश दिया है। विभाग ने ग्राम पंचायतों को उनकी जमीनों पर कब्जा मुक्त कराने में असफलता को अधिकारियों की जिम्मेदारी बताया है कि यदि समय पर कार्रवाई नहीं की गई, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। हरियाणा सरकार के इस फैसले से प्रदेश में पंचायती भूमि पर हो रहे अवैध कब्जों को हटाने में तेजी आएगी।
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