Diwali 2024: अबकी बार दीपावली त्यौहार को लेकर लोगों के बीच कन्फ्यूजन की स्थिति है दरअसल दीपावली त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है अबकी बार अमावस्या 31 अक्टूबर को 3:55 शाम को शुरू होकर 1 नवंबर 6:30 बजे शाम तक होगी तो लोगों के बीच कन्फ्यूजन चल रहा है की दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाए या फिर 1 नवंबर को हमने इसे लेकर कई विद्वानों की राय जानी है आईए जानते हैं विद्वानों का इस बारे में क्या कहना है
हर साल दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है इस दिन भगवान श्री रामचंद्र रावण को मार कर अयोध्या वापस लौटे थे उनके वापस लौटने की खुशी में पूरे देशवासियों ने घी के दीप जलाए थे तभी से हर कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है कहते हैं कार्तिक मास की अमावस्या की रात को लक्ष्मी माता देवलोक से पृथ्वी पर आती है और रात मे विचरण करती है। कार्तिक मास की अमावस्या से पहले दिन छोटी दीपावली मनाई जाती है और अमावस्या की रात को दिवाली मनाई जाती है। अबकी बार कार्तिक मास की अमावस्या 31 अक्टूबर को शाम 3:55 से शुरू होकर शुक्रवार 6:30 बजे तक है तो अब की बार लोगों में असमंजस की स्थिति है की दीपावली कब मनाई जाएगी। कुछ विद्वान कह रहे हैं कि दीपावली 31 अक्टूबर की रात को मनाई जाएगी तो वहीं कुछ विद्वानों का कहना है कि दीपावली एक नवंबर को ही मनाई जाएगी।
विद्वानों के अनुसार इस बार 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों दिन मनाई जा सकती है दीपावली
उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल के ज्योतिषाचार्य व पंडितों ने बताया कि देशभर में दिवाली 1 नवंबर को ही मनाई जायेगी। उन्होंने पर्व को लेकर आम बैठक की भी की है जिसमें सर्वसम्मति से एक नवंबर को ही दिवाली पर्व को मनाने का फैसला लिया गया। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार ऐसा नियम है कि अमावस्या के 12 बजे के बाद लगने पर पर्व अगले दिन मनाया जाता है। चूंकि 31 अक्टूबर को अमावस्या 3 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी, जो 1 तारीख को शाम सवा 6 बजे तक रहेगी। अमावस्या का प्रदोष काल शाम को है। प्रदोष काल की अमावस्या साढ़े 6 बजे तक रहेगी। ऐसे में उन्होंने फैसला किया कि दिवाली का पर्व एक नवंबर को ही मनाना जाना तय है वहीं, सरकारी कर्मचारियों का अवकाश 31 अक्टूबर को किया गया है।
31 अक्टूबर को दीपावली मनाने वाले विद्वानों का तर्क
प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य मनीष भारद्वाज ने बताया की 1 नवंबर को अमावस्या शाम 6:00 बजे समाप्त हो जाएगी और दीपक जलाने का प्रावधान रात्रि में होता है इसलिए दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाया जाना उचित है हालांकि यह त्यौहार 1 नवंबर को भी मनाया जा सकता है लेकिन अगर आप 1 नवंबर को त्यौहार मना रहे हैं तो आपको लक्ष्मी पूजन 5:30 से 6:00 के बीच करना चाहिए। पंडित रामराज कौशिक ने times today को बताया की दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस साल 31 अक्टूबर को दिन में 3 बजकर 12 मिनट से अमावस्या लग रही है, जो 1 नवंबर को शाम 5 बजकर 53 मिनट तक है । व्रत या त्योहार में उदया तिथि भी देखी जाती है, लेकिन दिवाली के त्योहार में प्रदोष काल पर भी विचार किया जाता है। दिवाली के दिन सूर्यास्त के बाद दीपक जलाने का विधान होता है। 1 नवंबर को अमावस्या तिथि शाम के समय ही समाप्त हो रही , जिसके कारण प्रदोष काल प्राप्त नहीं होगा। इस वजह से 31 अक्टूबर को दिवाली का पर्व मनाना बेहतर रहेगा। हालांकि अगर कोई 1 नवंबर को दीपावली मनाना चाहे तो इसमें भी कोई बुराई नहीं है 1 नवंबर को भी दीपावली पर मनाया जा सकता है लेकिन लक्ष्मी पूजन जैसे कार्य 6:00 से पहले संपन्न कर लेने चाहिए।
दीपावली पर्व को लेकर विद्वानों की अलग-अलग राय
कुछ विद्वानों के अनुसार दीपावली का त्यौहार का 31 अक्टूबर को मनाना उचित है तो कुछ विद्वानों के अनुसार 1 नवंबर को ही दीपावली मनाई जाएगी हालांकि कुछ पंडितों और ज्योतिष ने बताया कि इस बार दीपावली त्यौहार 31 अक्टूबर वह 1 नवंबर दोनों दिन मनाया जा सकता है।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त का समय जानिए
दिवाली कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है और इस साल कार्तिक अमावस्या तिथि का आरंभ 31 अक्टूबर को 3 बजकर 52 मिनट पर हो रहा है और कार्तिक अमावस्या तिथि 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। जबकि 31 अक्टूबर को सूर्यास्त शाम 5 बजकर 36 मिनट पर हो जायेगा। ऐसे में दिवाली पूजा का मुहूर्त 31 अक्टूबर को 5 बजकर 36 मिनट से आरंभ हो जायेगा। लेकिन स्थिर लग्न वृषभ 6 बजकर 32 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगा लेकिन इस बीच अमृत चौघड़िया शाम 7 बजकर 14 मिनट तक होगा । इसलिए दीपावली पर 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का सबसे उत्तम समय शाम 6 बजकर 32 मिनट से 7 बजकर 14 मिनट तक माना गया है। वैसे आप 8 बजकर 32 मिनट तक भी स्थिर लग्न वृषभ में दिवाली पूजन किया जा सकता हैं।वैसे देश के कुछ भागों में 1 नवम्बर को भी दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है। ऐसे में 1 नवंबर को दिवाली का पूजा मुहूर्त शाम में 5 बजकर 37 मिनट से 6 बजकर 14 मिनट तक ही रहेगा। शास्त्रों में बताया गया है की आपको सूर्यास्त जिस समय होता है उससे 48 मिनट आगे और पीछे का समय प्रदोष काल माना गया है।
इसी समय में स्थिर लग्न यानी वृषभ,सिंह,वृश्चिक और कुंभ में से कोई भी लग्न हो तब गृहस्थ जनों को दिवाली पूजन किया जाना चाहिए इससे स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति अवश्य होती है। गृहस्थ लोगों को स्थिर लग्न और मुहूर्त में भगवान गणेश सहित देवी लक्ष्मी और कुबेर की पूजा करनी चाहिए। इस साल दिवाली की तिथि को लेकर भी कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है तो आप अपना कन्फ्यूजन तो सबसे पहले दूर कीजिए कि इस साल दिवाली प्रमुख रूप से 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों दिन मनाया जा रहा है।
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