Anti Rabies Vaccine: वैक्सीन लगने के 15 दिन बाद बच्ची की अमेरिका में मौत, जानिए पूरी घटना

 

  Anti Rabies Vaccine:  हरियाणा के रोहतक मे स्थित पीजीआई में एक 8 साल की बच्ची को करीब 15 दिन पहले एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई गई थी। वैक्सीन लगने के बाद 21 मार्च को बच्ची परिवार के साथ अमेरिका घूमने चली गई थी वहां पर बच्ची की तबीयज बिगड़ गई। बच्ची की सांस फूलने लगी। 5 दिन बाद बच्ची की मौत हो गई।

रोहतक में एक आठ वर्षीय बच्ची को रेबीज रोधी वैक्सीन (एंटी-रेबीज वैक्सीन) लगाई गई थी, और बाद में अमेरिका में उसकी मृत्यु हो गई। इस खबर ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों और आम लोगों के बीच चिंता पैदा कर दी है, और रोहतक के पीजीआई (पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) में इस मामले को लेकर हलचल मची हुई है। नीचे इस घटना का विस्तृत विवरण दिया गया है,

अब पीजीआई रोहतक में लगी इस वैक्सीन के बारे में अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की चिट्ठी आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जांच बैठा दी है। टीम ने मरीजों को लगाई जा रही वैक्सीन के बॉक्स सील कर दिया है। शहर की श्रीनगर कॉलोनी निवासी यशदीप ने बताया कि उनकी बेटी दिशा 10 मार्च को गली में खेल रही थी, तभी उसके गाल व होंठ पर कुत्ते ने काट लिया। उसे पीजीआई लेकर पहुंचे, जहां आपातकालीन विभाग में एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई गई। इसका दूसरा डोज 15 मार्च व तीसरा 17 मार्च को दिया गया।21 मार्च को बच्ची सपरिवार अमेरिका घूमने चली गई। वहां पहुंचने के दो दिन बाद बुखार आ गया। अस्पताल में भर्ती कराने के कुछ घंटे बाद सांस फूलने लगी। उसे आईसीयू में शिफ्ट कराना पड़ा। मगर, हालत बिगड़ती चली गई और पांच दिन बाद बच्ची की मौत हो गई।

कुत्ता काटने से गहरा जख्म होने पर घाव में ही वैक्सीन देगा पीजीआई

एंटी रेबीज वैक्सीन लगने के बावजूद आठ साल की बच्ची की अमेरिका में हुई मौत के प्रकरण की जांच शुरू होने के बाद पीजीआई ने टीका लगाने की नई गाइड लाइन जारी कर दी है। इसके तहत कुत्ता काटने से गहरा घाव होने पर अब जख्म में ही वैक्सीन दी जाएगी। इसके साथ मरीजों का डाटा रजिस्टर के अलावा ऑनलाइन भी दर्ज किया जाएगा।अमेरिका से चिट्ठी आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के जांच बैठाने से हो रही फजीहत को देखते हुए पीजीआई प्रशासन ने एंटी रेबीज वैक्सीन लगाने की नई गाइड लाइन जारी कर दी है। इसके तहत कुत्ते के काटने के मामलों की तीन श्रेणियां बनाई गई हैं।एक, जिसमें हल्की खरोंच आई। दो, जिसमें छोटा या हल्का घाव होने से कुछ खून भी रिसा। तीन, गहरा घाव या कई घाव होने से अधिक खून बहा। अभी तक तीनों श्रेणियों में मरीजों को बाजू में वैक्सीन दी जाती थी। नई गाइड लाइन के मुताबिक, तीसरी श्रेणी के मरीजों को घाव के पास ही वैक्सीन लगाई जाएगी। अन्य दोनों श्रेणियों में बाजू में ही टीका लगेगा।

केंद्रीय टीमों ने बच्ची के पड़ोस तक की थी जांच
पीजीआई में 10 मार्च को एंटी रेबीज का पहला, 13 को दूसरा और 17 मार्च को तीसरा टीका लगा था। चौथा टीका आठ अप्रैल को लगना था, लेकिन 21 मार्च को ही बच्ची परिजनों के साथ अमेरिका चली गई। चार अप्रैल को उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके दिमाग में वैक्सीन के अंश मिलने पर अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने भारतीय रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र को पत्र लिखा था। 20 अप्रैल को तीन केंद्रीय टीमों ने पीजीआई से लेकर बच्ची के पड़ोस तक जांच की। मरीजों को लगाई जा रही वैक्सीन का एक बॉक्स सील भी किया। इसकी गुणवत्ता की जांच होगी। जांच के दौरान पड़ोसियों ने बताया था कि कुत्ता पहले भी कई लोगों को काट चुका था।

इमरजेंसी से ट्रामा सेंटर तक सिरिंज में ले जाई गई थी वैक्सीन

बच्ची को वैक्सीन लगाने में पीजीआई ने हद दर्जे की लापरवाही बरती है। बच्ची के पिता यशदीप के मुताबिक, कुत्ते के काट लेने से घायल बच्ची को लेकर वह आपातकालीन विभाग में पहुंचे थे। यहां से उन्हें वैक्सीन से भरी सिरिंज देकर ट्रामा सेंटर भेज दिया गया। करीब डेढ़ सौ मीटर दूर तक वह इसी गर्मी में गए। इस दौरान वैक्सीन निर्धारित तापमान में नहीं रही। इस गंभीर लापरवाही के कारण यह वैक्सीन उनकी बच्ची के लिए जानलेवा हो जाएगी, इसका तनिक भी अंदेशा नहीं था।

पिता बोले-नकली हो सकती है वैक्सीन, गंभीरता से हो जांच

पिता ने वैक्सीन के नकली होने का शक भी जताया है। उन्होंने प्रकरण की गंभीरता से जांच की मांग की, ताकि किसी और के साथ ऐसी अनहोनी न हो। वह बताते हैं कि अपवाद जैसे इस प्रकरण को अमेरिका ने बेहद गंभीरता से लिया है। एहतियातन माता-पिता को भी टीका लगाया गया है।



चिकित्सकों ने मौत के कारणों का पता लगाने के लिए शव का पोस्टमार्टम किया तो उसके दिमाग में एंटी रेबीज वैक्सीन के अंश मिले। इसके बाद नई बीमारियों को फैलने से रोकने और उनसे बचाव के लिए काम करने वाले अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने भारत सरकार को जांच कराने के लिए लिखा की क्या खराब थी वेक्सीन: सबसे बता यह है कि जिस बच्ची को रोहतक में जो वक्सीन लगाई गई क्य वह खराब थी। अगर नही तो फिर ऐसा क्यों हुआ। बता दे कि हरियाणा से 21 मार्च को बच्ची सपरिवार अमेरिका घूमने चली गई। वहां पहुंचने के दो दिन बाद बुखार आ गया। आनन फानन में बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराने के कुछ घंटे बाद सांस फूलने लगी। उसे अमरजैसी में आईसीयू में शिफ्ट कराना पड़ा।लेकिन कुछ ही देर में उसने दम तोड दिया।

घटना का विवरण

  • बच्ची की पहचान और पृष्ठभूमि: मृतक बच्ची की उम्र आठ वर्ष थी, और वह अपने परिवार के साथ अमेरिका की यात्रा पर गई थी। उसका नाम अभी तक आधिकारिक रूप से सार्वजनिक नहीं किया गया है।
  • वैक्सीन का प्रशासन: बच्ची को रोहतक के पीजीआई में एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई थी। यह वैक्सीन उसे एक आवारा कुत्ते के काटने के बाद दी गई थी, जैसा कि प्रोटोकॉल के अनुसार होता है। वैक्सीन का शेड्यूल पूरा होने के बाद बच्ची और उसका परिवार अमेरिका के लिए रवाना हुए।
  • मृत्यु: अमेरिका में बच्ची की अचानक मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि बच्ची के मस्तिष्क में एंटी-रेबीज वैक्सीन के अवशेष पाए गए, जिसे कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में उसकी मृत्यु का कारण बताया जा रहा है।
  • रोहतक पीजीआई में हलचल: इस खबर के सामने आने के बाद रोहतक के पीजीआई में इस मामले की जांच शुरू हो गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों और विशेषज्ञों द्वारा यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या वैक्सीन की गुणवत्ता, प्रशासन की प्रक्रिया, या अन्य कोई कारक इस घटना के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

सोशल मीडिया और समाचारों की प्रतिक्रिया

  • सोशल मीडिया पोस्ट्स:
  • एक एक्स पोस्ट में दावा किया गया कि बच्ची को वैक्सीन के कारण मृत्यु हुई, और पोस्टमार्टम में वैक्सीन के अवशेष मस्तिष्क में पाए गए। इस पोस्ट में लोगों से इस मामले को गंभीरता से लेने और इसकी जांच की मांग की गई।
  • एक अन्य पोस्ट में, पंजाबी समाचार आउटलेट जगबानी ने बताया कि बच्ची परिवार के साथ अमेरिका घूमने गई थी, और उसकी मृत्यु के बाद पीजीआई में इस मामले को लेकर चर्चा हो रही है।
  • एक और पोस्ट में रोहतक के संदर्भ में इस खबर को सनसनीखेज तरीके से पेश किया गया, जिसमें पीजीआई की भूमिका पर सवाल उठाए गए।
  • विवाद और सवाल: सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावशीलता पर बहस शुरू हो गई है। कुछ लोग इसे वैक्सीन से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे एक दुर्लभ और असामान्य घटना मान रहे हैं, जिसकी पूरी जांच जरूरी है।

वैज्ञानिक और चिकित्सकीय दृष्टिकोण

  • एंटी-रेबीज वैक्सीन: यह वैक्सीन आमतौर पर सुरक्षित मानी जाती है और दुनिया भर में लाखों लोगों को दी जाती है। यह रेबीज वायरस से बचाव के लिए दी जाती है, जो एक घातक बीमारी है। वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स दुर्लभ होते हैं, लेकिन गंभीर एलर्जी या न्यूरोलॉजिकल समस्याएं बहुत कम मामलों में देखी गई हैं।
  • पोस्टमार्टम दावे: सोशल मीडिया पर यह दावा किया गया कि बच्ची के मस्तिष्क में वैक्सीन के अवशेष पाए गए। हालांकि, यह चिकित्सकीय रूप से असामान्य है, क्योंकि वैक्सीन के घटक सामान्य रूप से मस्तिष्क में जमा नहीं होते। इस दावे की पुष्टि के लिए स्वतंत्र जांच और विशेषज्ञों की राय आवश्यक है।
  • संभावित कारण: मृत्यु के कारणों में वैक्सीन के अलावा अन्य कारक भी हो सकते हैं, जैसे कि रेबीज वायरस का प्रभाव (यदि वैक्सीन समय पर या पूरी तरह प्रभावी नहीं रही), कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या, या यात्रा के दौरान कोई जटिलता। इन सभी की जांच जरूरी है।

आधिकारिक प्रतिक्रिया और जांच

  • रोहतक पीजीआई: पीजीआई ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन खबरों के अनुसार, अस्पताल में इस घटना की गहन जांच चल रही है। वैक्सीन की गुणवत्ता, स्टोरेज, और प्रशासन की प्रक्रिया की समीक्षा की जा रही है।
  • स्वास्थ्य विभाग: हरियाणा और केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। यह भी संभव है कि इसकी जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाए।
  • अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारी: अमेरिका में बच्ची की मृत्यु के बाद वहां के स्वास्थ्य अधिकारियों ने भी इस मामले की जांच शुरू की होगी, हालांकि इसकी कोई आधिकारिक जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है।

जनता की चिंताएं और भ्रांतियां

इस घटना ने वैक्सीन के प्रति लोगों के मन में डर और संदेह पैदा किया है। खासकर, सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट्स में इसे वैक्सीन विरोधी प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं को बिना पूरी जांच के सामान्यीकरण नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे वैक्सीनेशन कार्यक्रमों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। रेबीज जैसी घातक बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन जरूरी है, और इस तरह की दुर्लभ घटनाएं सामान्य रूप से वैक्सीन की सुरक्षा को कम नहीं करतीं।

निष्कर्ष और सुझाव

यह घटना निश्चित रूप से दुखद है और बच्ची के परिवार के लिए एक बड़ा आघात है। इस मामले की निष्पक्ष और वैज्ञानिक जांच जरूरी है ताकि सच्चाई सामने आ सके। साथ ही, जनता को भ्रांतियों से बचाने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को पारदर्शी तरीके से जानकारी साझा करनी चाहिए। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे सोशल मीडिया की अफवाहों पर भरोसा करने के बजाय विशेषज्ञों और आधिकारिक स्रोतों से जानकारी लें।

केंद्र से भेजी गई तीन टीमों ने पीजीआई के आपातकालीन विभाग, ओपीडी स्थित टीकाकरण कक्ष और बच्ची के पड़ोस में जांच की है। सील की गई वैक्सीन की गुणवत्ता जांच के लिए मुख्यालय भेजी जाएगी। रिपोर्ट आने पर अन्य मामलों में कार्रवाई की जाएगी।
– वरुण अरोड़ा, जनसंपर्क अधिकारी, पीजीआई।

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