Amit Shah on article 370: धारा 370 ही है कश्मीर मे आतंकवाद की असली जड़, जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख : थ्रू द एजेस किताब के विमोचन पर बोले अमित शाह

Amit Shah on article 370: कश्मीर के उपर एक पुस्तक विमोचन के उपर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा की धारा 370 ही कश्मीर मे आतंकवाद की असली जड़ है गृह मंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 ने इस विचार को बढ़ावा दिया कि भारत और कश्मीर के रिश्ते अस्थायी थे. उनका पूरा बयान देखिये इस लेख मे.

गृहमंत्री अमित शाह ने एक पुस्तक विमोचन के दौरान कश्मीर के ऊपर धारा 370 को लेकर एक ताजा बयान दिया है श्री शाह ने एक पुस्तक विमोचन के अवसर पर कहा की मुझसे अक्सर पूछा जाता है कि अनुच्छेद 370 का आतंकवाद से क्या संबंध है। इसने कश्मीर के युवाओं में अलगाववाद के बीज बोए है. आतंकवाद देश के अन्य मुस्लिम क्षेत्रों में क्यों नहीं फैला? एक तर्क यह है कि कश्मीर की सीमा पाकिस्तान से लगती है। यहां तक कि गुजरात और राजस्थान और पंजाब की सीमा भी पाकिस्तान से लगती है, लेकिन आतंकवाद वहां नहीं पहुंचा। अनुच्छेद 370 ने इस गलत धारणा को बढ़ावा दिया कि भारत और कश्मीर के बीच संबंध अस्थायी हैं। धीरे-धीरे अलगाववाद आतंकवाद में बदल गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 40,000 लोगों की जान चली गई है  श्री शाह ने कहा की दशकों तक कश्मीर का विकास पीछे छूट गया, जबकि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में आतंकवाद का नंगा नाच चल रहा था। 5 अगस्त 2019 को भारतीय संसद द्वारा कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा और धारा 370 को खत्म कर दिया गया था इसके बाद से कश्मीर काफी हद तक बाकी देश के साथ मुख्य धारा से जुड़ने में सफल रहा है.

श्री शाह नेशनल बुक ट्रस्ट और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) के संयुक्त प्रयास , जम्मू-कश्मीर और लद्दाख: थ्रू द एजेस के विमोचन के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे । गृह मंत्री ने कहा कि यह पुस्तक कश्मीर के 8,000 साल पुराने इतिहास का पता लगाने का एक ईमानदार काम है, उन्होंने दावा किया कि कश्मीर का नाम संभवतः ऋषि कश्यप के नाम पर रखा गया है।

कश्मीर को लेकर कुछ लोगों द्वारा भ्रम फैलाया गया

गृहमंत्री अमित शाह ने कार्यक्रम में कहा कि कुछ लोगों द्वारा एक मिथक फैलाया गया कि देश कभी एक नहीं था, कई लोगों ने इस पर विश्वास भी किया और  जब हम इसकी जड़ों में जाते हैं, तो अंग्रेजों के अधीन लिखे गए इतिहास, उनके ज्ञान की कमी के कारण ही देश का उनका वर्णन गलत था। हम एक भू-सांस्कृतिक महान देश हैं जिसकी सीमाएँ संस्कृति द्वारा परिभाषित हैं। हमारी सीमा गंधर्व अफ़गानिस्तान  से लेकर ओडिशा तक, जो लोग किसी देश को भू-राजनीतिक इकाई के रूप में देखते हैं, वे कभी भी इस देश को परिभाषित ही नहीं कर सकते है। जब तक इतिहासकार इस सिद्धांत को सबूतों के साथ साबित नहीं करते, तब तक दुनिया हमारे इतिहास को नहीं समझ सकती है अमित शाह ने आगे कहा की पुस्तक का उद्देश्य जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की कहानी को एक ऐसे परिप्रेक्ष्य और प्रारूप में प्रलेखित करना है, जो विषय विशेषज्ञों और क्षेत्र के इतिहास से कम परिचित लोगों, दोनों के लिए एक सिंहावलोकन सक्षम बनाए रखना है.

यह पुस्तक कश्मीर और भारत के महान इतिहास को दुनिया तक ले जाएगी

आईसीएचआर के अध्यक्ष रघुवेंद्र तंवर ने पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहा की यह  पुस्तक अंतरराष्ट्रीय पाठकों के लिए भी है। इसे राष्ट्रीय आख्यान निर्माण के लिए लिखा गया है। जो सही जानकारी लोगो तक पहुंचाएगी.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहा कि किताब में कश्मीर पर वैकल्पिक जानकारी प्रस्तुत करने का सुन्दर प्रयास  किया गया है। उन्होंने कहा की इस किताब पर पिछले कुछ सालों से काम चल रहा था और  बैठकों में गृह मंत्री अमित शाह अक्सर पूछते थे कि इतिहास को सही दिशा देने में हम कहां तक पहुंचे हैं। मैंने सुझाव दिया कि ऐतिहासिक तथ्यों को साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत करना चाहिए। यह किताब कश्मीर के बारे में मिथकों भर्म को दूर करने का एक शानदार प्रयास है। श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा की महाभारत, वेदों और पुराणों में कश्मीर की चर्चा की गई है। यह सरस्वती नदी, शारदा लिपि का उद्गम स्थल है। एक फोटो से पता चलता है कि 1.5 लाख साल पहले यहां एक उन्नत सभ्यता थी। यह पुस्तक एक वैकल्पिक कथा को जन्म देगी।

कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई
राजस्थान भी पाकिस्तान की सीमा के करीब है और गुजरात और पंजाब भी परंतु वहां आतंकवाद क्यों नहीं पनपा?’’ शाह ने कहा कि अनुच्छेद-370 ने यह गलत धारणा दी कि कश्मीर का भारत के साथ एकीकरण अस्थायी है और इसने अलगाववाद के बीज बोये, जो बाद में आतंकवाद में बदल गए थे आगे  गृहमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से कश्मीर में आतंकवाद के कारण 40,000 से अधिक लोगों की जान चली गई. उन्होंने कहा की मोदी सरकार ने कश्मीर में न केवल आतंकवाद को, बल्कि आतंकवाद के ढांचे को भी खत्म किया. शाह ने कहा कि कश्मीर का विकास दशकों तक लटका रहा, वर्षों तक कश्मीर में खून-खराबा होता रहा और देश को चुपचाप यह सब देखना पड़ा. उन्होंने दावा किया, ‘‘अनुच्छेद-370 के खात्मे के बाद कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है और इससे साबित हो गया है कि अनुच्छेद-370 ने आतंकवाद को बढ़ावा दिया था ये पूरी तरह से स्पष्ट है.

2024 में पत्थरबाजी की एक भी घटना नहीं सामने आई
2018 में कश्मीर में पत्थरबाजी की 2,100 घटनाएं हुईं थी लेकिन 2024 में पत्थरबाजी की एक भी घटना नहीं हुई है गृहमंत्री ने दावा किया कि जब यह अनुच्छेद (संविधान में) लाया गया था उस दौरान  भी लोग इसे नहीं चाहते थे. उन्होंने कहा कि संविधान सभा में भी बहुमत नहीं चाहता था कि अनुच्छेद-370 संविधान का हिस्सा बने, लेकिन यह संविधान का हिस्सा बना आगे शाह ने कहा कि सौभाग्य से, कुछ दूरदर्शी लोगों ने इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखना आवश्यक समझा. उन्होंने कहा लेकिन जो चीजें कृत्रिम होती हैं और प्राकृतिक नहीं होती हैं. वे लंबे समय तक नहीं रहतीं है. प्रधानमंत्री मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद-370 को समाप्त कर दिया गया. मोदी ने स्वतंत्र भारत के इतिहास के एक काले अध्याय को समाप्त करने का काम किया है.

अमित शाह के बयान का वीडियो देखें

इस साल कश्मीर मे बना ज्यादा मतदान का रिकॉर्ड
शाह ने कहा कि तब से कश्मीर में विकास की प्रक्रिया भारत के किसी भी अन्य हिस्से की तरह शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय निकाय चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुए, जिसके बाद 25,000 से अधिक लोग पंच, सरपंच या जिला परिषद सदस्य के रूप में चुने गए है गृहमंत्री ने कहा की लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए है इस साल चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा मतदान का रिकॉर्ड दर्ज किया गया उन्होंने कहा की उद्योग भी आ रहे हैं. इस सालकरीब 2.11 करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर आ चुके हैं.

34 साल बाद श्रीनगर के लाल चौक पर निकली कृष्ण जन्माष्टमी यात्रा
शाह ने कहा कि अकेले 2024 में कश्मीर में फिल्मों या धारावाहिकों की 324 शूटिंग हुई हैं. उन्होंने कहा कि 1960 के दशक में यह एक नियमित चलन था और अब यह फिर से शुरू हो गया है. गृहमंत्री ने कहा कि 33 साल बाद सिनेमाघरों में रात के शो हो रहे हैं उन्होंने कहा कि 34 साल बाद ताजिया जुलूस निकाला गया और श्रीनगर के लाल चौक पर कृष्ण जन्माष्टमी यात्रा भी देखी गई है अमित शाह ने कहा की यह सब अनुच्छेद-370 के हटने के बाद-2019 से 2024 तक हुआ है. उन्होंने कहा कि ‘जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख : थ्रू द एजेस’ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के इस कथन को सही साबित करती है कि जम्मू-कश्मीर न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि भारत की आत्मा का अभिन्न अंग है.शाह ने कहा कि पुस्तक निरंतरता और एकीकरण का ऐतिहासिक विवरण है. उन्होंने कहा कि इसने देश में प्रचलित मिथकों को तोड़ा है और इतिहास को सत्य एवं प्रमाण के साथ प्रस्तुत किया है, “जो एक बड़ी उपलब्धि है.” गृहमंत्री ने कहा कि शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास से मुक्ति पाने का समय आ गया है और अब समय आ गया है कि तथ्यों और साक्ष्यों के साथ भारत का इतिहास लिखकर दुनिया के सामने पेश किया जाए. उन्होंने कहा कि भारत के कोने-कोने के हजारों साल पुराने इतिहास ने विश्व सभ्यता को समृद्ध किया है, लेकिन गुलामी के कालखंड में इसे भुलाने का घृणित प्रयास किया गया है. शाह ने कहा कि पुस्तक साबित करती है कि भारत के कोने-कोने में बिखरी संस्कृति, भाषाएं, लिपियां, आध्यात्मिक विचार, व्यापार और वाणिज्य, 10,000 साल तक कश्मीर में मौजूद थे और वहीं से पूरे देश में पहुंचे है.

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए hindi times today उत्तरदायी नहीं है.

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