Gadkari On Road Accident: लोकसभा में प्रसन्न कल के दौरान सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जब वह विदेश दोनों पर जाते हैं तो वहां जब सड़क हादसों से संबंधित कोई बात होती है तो मुझे मुंह छुपाना पड़ता है नितिन गडकरी के इस बयान के क्या मायने हैं आइये इस पर विस्तार से जानते हैं.
लोकसभा मे सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के एक बयान को लेकर काफी चर्चा हो रही है दरअसल लोकसभा में जब प्रसन्न कल चल रहा था तो उसे समय एक सवाल के जवाब में नितिन गडकरी ने बयान दिया कि जब भी वह विदेश दौरे पर जाते हैं और वहां पर सड़क हादसों को लेकर कोई कॉन्फ्रेंस या बातचीत होती है तो मुझे शर्म से मुंह छुपाना पड़ता है नितिन गडकरी के इस बयान को लेकर अब सड़क हादसों को लेकर एक चर्चा छिड़ गई है. आखिर क्यों हम भारत में सड़क हादसों को नहीं रोक पा रहे हैं नितिन गडकरी जी ने बयान दिया कि भारत में होने वाले सड़क हादसों में सबसे ज्यादा हादसों की वजह सड़क पर अनुशासनहीनता है. सड़क पर चलने के दौरान या ड्राइविंग करते समय भारत में अनुशासनहीनता बेहद आम हो गई है. सड़क पर लोग रूल्स को तोड़ने में अपनी शान समझते हैं. रेड लाइट जंप करना हो या फिर गलत लेने में गाड़ी चलाना हो या फिर और स्पीडिंग करनी हो भारतीय शहरों में यह चीज आम देखी जाती हैं.
भारत मैं रोजाना हजारों लोग सड़क हादसों में अपनी जान गवाते हैं आए दिन अखबार सड़क हादसों की खबरों से भरे रहते हैं लेकिन फिर भी हम सचेत नहीं हो रहे हैं. नितिन गडकरी ने आगे कहा कि हम भारत की सड़कों को सुधारने के लिए लगातार काम कर रहे हैं नियमित रूप से सड़कों के गढ़ों को भरने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं समय-सा समय पर एक्सप्रेस वे और बाकी अन्य हाईवे की मरम्मत के लिए काम चलता रहता है परंतु यह सब काफी नही है. हर साल को लाखों लोग सड़क हादसो मे अपनी जान गवा रहे है. और इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यातायात के नियमों का उल्लंघन और ड्राइविंग के दौरान अनुशासनहीनता है. ट्रैफिक पुलिस भी अपना काम मुस्तादी से करती है भारी मात्रा में चालान भी किए जाते हैं परंतु इन सब से भी सड़क हादसों में कोई खास कमी नहीं आई है. नितिन गडकरी ने कहा कि 2014 में भारत सरकार द्वारा एक योजना तैयार की गई थी जिसका लक्ष्य था कि सड़क हादसों को 50 फीसदी तक कम किया जाए. लेकिन सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मुझे यह कहने में भी शर्म महसूस हो रही है की सड़क हादसे कम होने की बजाय और ज्यादा बढ़ गए हैं. उन्होंने कहा कि जब भी वह विदेश में किसी कॉन्फ्रेंस इत्यादि में जाते हैं और वहां सड़क हादसों को लेकर बात होती है तो उनका मुंह छिपाना पड़ता है उन्होंने सड़क पर ड्राइविंग के दौरान अनुशासन का पाठ हमें यूरोपीय देशों से सीखना चाहिए यूरोपीय देश स्वीडन ने सड़क हादसे लगभग जीरो कर दिए हैं.
स्वीडन में इस बार जीरो प्रतिशत सड़क हादसे दर्ज हुए
यूरोपीय देशों में सड़क हादसों में भारी कमी आई है स्वीडन में तो जीरो फीसद सड़क हादसे दर्ज किए गए हैं इसके पीछे वहां के लोगों का अनुशासित होना है ट्रैफिक नियमों को लेकर यूरोपीय देशों में बेहद अनुशासन देखने को मिलता है लोग यातायात के नियमों का पालन करते हैं. ज्यादातर लोग वहां पर बेवजह निजी वाहनों का प्रयोग करने से बचते हैं और सार्वजनिक परिवहन का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करते हैं जबकि भारत में इसका उलट है भारत में छोटे-छोटे परिवारों में भी तीन-तीन चार-चार गाड़ियां हैं कई मामलों में पुलिस रिकॉर्ड देखे तो बगैर लाइसेंस गाड़ी चलाने नाबालिक के ड्राइविंग करने, शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले बड़ी मात्रा में दर्ज किए जाते हैं. जबकि यूरोपियन देशों में इसका उलट है वहां पर ट्रैफिक नियमों का पालन करना लोग अपनी जिम्मेवारी समझते हैं इसीलिए वहां सड़क हादसों पर नियंत्रण पा लिया गया है. अनुशासन के मामले में भारत को स्वीडन से सीखना चाहिए.नितिन गडकरी ने कहा कि गाड़ियों की तेज गति इतनी बड़ी समस्या नहीं है क्योंकि दुनियाभर में लोग तेज गति से वाहन चलाते हैं.परंतु भारत में लेन अनुशासनहीनता एक सबसे बड़ी समस्या है. सदन में मौजूद सांसदों से उन्होंने कहा कि लोगों और विशेष रूप से युवाओं को यातायात अनुशासन के साथ लेन अनुशासनहीनता के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए.
गृहमंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उनकी खुद की गाड़ी का भी दो बार चालान हो चुका
गृहमंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि भारत में ऑनलाइन चालान भी किया जा रहे हैं सड़क पर नजर रखने के लिए बड़ी मात्रा में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे बताते समय शर्म महसूस हो रही है कि मेरी खुद की गाड़ी का भी दो बार ट्रैफिक नियमों का पालन न करने के कारण चालान हो चुका है. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह हमारी नैतिक जिम्मेवारी है और हमें हर हाल में सड़क हादसों पर नियंत्रण पाना होगा क्योंकि सड़क हादसों के कारण कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं उन्होंने कहा कि जो लोग सड़क हादसों में अपनी जान गवा चुके हैं आप उनके घर पर जाकर देखिए किसी इंसान के जाने का दुख क्या होता है उन्होंने कहा कि इस बारे मे सोचने पर मैं बेहद बेबस महसूस करता हुं. नितिन गडकरी ने आगे कहा कि हमें हर हाल में अनुशासित होना होगा और सड़क हादसों को रोकना होगा हम अपनी कीमती जानें सड़क पर नहीं गाव सकते.
भारत में सड़क हादसों में होने वाली मौतों की संख्या में अगर राज्यों की बात करे तो उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर आता है उत्तर प्रदेश में हर साल लगभग 25000 मौते सड़क हादसों के दौरान हो जाती हैं. उत्तर प्रदेश के बाद तमिलनाडु का नंबर आता है जहां पर सड़क हादसों में 18000 मौते हर साल दर्ज की जाती है. उसके बाद महाराष्ट्र 15 हजार और मध्य प्रदेश 13000 का नंबर आता है. रोड एक्सीडेंट में होने वाली मौतों में अगर सहरों की बात की जाए तो दिल्ली मे हर साल लगभग 1400 मौत होती है. उसके बाद बेंगलुरु में लगभग 915 और जयपुर मे 850 लोग सड़क हादसों में जान गवा देते हैं.
भारत में होने वाले सड़क हादसों में जान गवाने वाले 50 प्रतिशत युवा होते हैं जिनकी उम्र 18 से 30 साल के बीच होती है. केवल अनुशासन ही सड़क हादसों को सही से रोक सकता है. उनके इस बयान पर लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने भी कहा कि सभी सांसद गणों का कर्तव्य है कि वह अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र में सड़क हादसों को लेकर लोगों को जागरूक करें और उनको अनुशासन का पाठ पढ़ाया उन्होंने कहा कि सड़क हादसों को लेकर सभी सांसद जिम्मेवारी से कम करें कि ताकि बढ़ते हुए सड़क हादसों को रोका जा सके.