Harful Jaat ki kahani: जानिए सबसे बड़े गौ रक्षक हरफुल जाट जुलानी वाला की रौंगटे खड़े कर देने वाली कहानी

Harful jaat ki kahani: जब जब हिंदू धर्म और गौ रक्षा की बात होगी तब तब विश्व के सबसे बड़े गौ रक्षक हरफुल जाट का नाम स्वर्णिम अक्षरों मे लिखा जायेगा। कैसे उन्होंने 100 से ज्यादा बुचड़खानो को अपने दम पर बंद करवाया।कसाई उनके नाम से ही थर्राने लगते थे ।उनके आने की खबर सुनकर ही कसाई सब छोड़कर भाग खड़े होते थे। उनके भय से  मुसलमान और अंग्रेजों का क्साइवाड़े का धंधा बिल्कुल चौपट हो गया था।
इसलिए अंग्रेज पुलिस उनके पीछे पड़ गयी थी। मगर हरफूल कभी किसी हाथ न आये। जाने महान सनातनी योद्धा हरफूल जाट जुलानी वाला की कहानी।

हरियाणा के सवा शेर, जिन्हें  रॉबिनहुड का हरियाणवी अवतार भी कहा जाता है, हरफूल जाट जुलानी वाला एक सच्चा हिंदू योद्धा
वह व्यक्ति जिसने मुसलमानों और अंग्रेजों द्वारा भारत में गायों की  हत्त्या के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और फ़िर इतिहास के पन्नो में कही गुम हो गया। फिल्हाल सरकार ने हाल ही में गौहत्या को रोकने के लिए कुछ कड़े कदम उठाए हैं लेकिन कुछ धर्मनिरपेक्ष उदारवादी इसे हिंदू वोट हासिल करने के लिए सरकार की योजना के रूप में ही देखते हैं। इसलिए विशेष रूप से उन उदारवादियों और हमारे प्रिय पाठकों के लिए हम आपके लिए देश की स्वतंत्रता पूर्व के इतिहास के एक महान योद्धा की कहानी लेकर आए हैं, जिन्हें न केवल गायों के वध को रोकने के लिए उनके प्रयासों के लिए याद किया जाता है, बल्कि हिंदू समुदाय और आमजन के खिलाफ अन्याय के विरुद्ध भी आवाज उठाने के लिए याद किया जाता है।

हरफूल जाट जुलानी वाला का जन्म

महान वीर हरफूल जाट का जन्म 1892 ई० में भिवानी जिले के लोहारू तहसील के गांव बारवास में एक जाट किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता एक बड़े किसान थे। बारवास गांव के इन्द्रायण नाम के पाने ( मोहले) में उनके पिता चौधरी चतरू राम सिंह रहा करते थे। हरफूल जाट के  दादा का नाम चौधरी किताराम सिंह था। सन् 1899 में हरफूल के पिताजी की प्लेग के कारण मौत हो गयी थी। इसी बीच हरफूल जाट का  परिवार जुलानी गांव में आ गया था जो हरियाणा के जींद जिले मे है।इसी गाँव के नाम से उन्हें वीर हरफूल जाट जुलानी वाला कहा जाता है।

हरफूल के पिता की मौत के बाद उनकी माता जी को उनके देवर रत्ना सिंह का लत्ता उढा दिया गया था। यानी उनकी शादी उनके छोटे भाई से कर दी गई थी। उसके बाद हरफूल जाट अपने मामा के यहां तोशाम के पास संडवा  गांव जो भिवानी मे पड़ता है वहा चले गये थे। जब वे कुछ सालों बाद वापिस आये तो उनके चाचा के लड़कों ने उसे प्रोपर्टी में हिस्सा देने से साफ मना कर दिया।जिस पर बहुत झगड़ा हुआ।और हरफूल को झूठी गवाही देकर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।और हरफूल पर थानेदार ने बहुत अत्याचार किये।
उनकी माता ने हरफूल का पक्ष लिया मगर उनकी एक न चली बाद में उनकी देखभाल भी बन्द हो गयी।h

हरफुल ने 10 साल सेना में काम किया

फिर जैसे तैसे हरफूल जेल से छूट गया उसके बाद हरफूल उसे समय सेना में भर्ती हो गया। हरफूल जाट ने 10 साल तक सेवा में काम किया और प्रथम विश्व युद्ध में भी भाग लिया। सेवा में हरफूल जाट की सेवा के दौरान के किस भी मशहूर हैं एक बार एक  अफसर को उसके परिवार औरतों में बच्चों सहित घेर लिया गया था तब हरफूल जाट ने अपनी जान पर खेल कर सर के परिवार व औरतों की जान बचाई थी। फिर सेवा में काम करने के 10 साल बाद हरफुल ने सेना छोड़ दी। जब हरफुल रिटायर हो रहे थे तो उनके अवसर ने उनका कोई उपहार मांगने को कहा तो हर फूल जाट ने उपहार में अवसर से एक गन (बंदूक ) मांग ली। तो अधिकारी ने खुशी से हरफूल को उसकी पसंदीदा बंदूक दे दी।

सेना छोड़ने के बाद हर फूल ने अत्याचारी पुलिस थानेदार और परिवार से बदला लिया

सेना से लौटते ही हरफुल ने उसे अत्याचारी पुलिस थानेदार से बदला लिया जिसने झूठे केस में फंसा कर हरफूल जाट को प्रताड़ित किया था हरफूल जाट ने मौका देखकर उसे अंग्रेज थानेदार की हत्या कर दी। फिर हरफूल अपने परिवार के पास पहुंचे और खुशी-खुशी अपने परिवार वालों को अपना जमीनी हिस्सा लौटने को कहा तब तक हरफूल की माता जी की भी मृत्यु हो चुकी थी। फिर हर फूल के परिवार ने उसके साथ बहुत ही बुरा व्यवहार किया और उसको जमीनी हिस्सा देने से साफ मना कर दिया। उसे समय चौधरी कुरदाराम ने हरफुल को स्पोर्ट किया। पर हर फूल ने उन सभी लोगो की भी हत्त्या कर दी जिन्होंने उनकी मा को परेशान किया था। उसके बाद हर फूल जाट पूरी तरह से बागी हो गया और उसने बाकी का जीवन गौरक्षा और गरीबों की सहायता करने में बिताया।

गौ रक्षा के लिए हरफूल जाट को मिली थी सवा शेर की उपाधि

उसे समय टोहाना में मुस्लिम  राँघड़ जाति के लोगों एक बहुत बड़ा कसाई खाना था जो अंग्रेजी सरकार की सह पर चल रहा था। उसे समय 52 गांवों की नैन खाप ने उस बुचड़ खाने का विरोध भी किया था परंतु कोई फर्क नही पड़ा। क्यूंकि अंग्रेज़ सरकार भी कसाई खाना चलाने में मुस्लिम  राँघड़ो की मदद कर रही थी। जब खाप के लोगों ने कसाई खाने पर हमला किया तो उन्होंने खाप के कई नौजवानों की हत्या कर दी। तब नैन खाप के लोगो ने हरफुल जाट को बुलाया और अपनी समस्या से अवगत कराया। तब हरफूल गौ हत्या की बात सुनकर आग बबूला हो गए और उन्होंने कसाई खाने को बंद करने की योजना बनाई। हरफूल जाट ने एक औरत का भेष धारण करके कसाई खाने में घुस गए उन्होंने कसाई खाने के लोगों का ध्यान बटाया। फिर कुछ नौजवान हथियार लेकर कसाई खाने मे घुश गए। फिर हर फूल जाट ने कसाई खाने में ऐसी तबाही मचाई की सभी कसाई खानों में हर फूल के नाम का भाव व्याप्त हो गया। उन्होंने वहां काम करने वाले सभी कसाइयों को मार डाला। उन्होंने वहां से हजार के करीब गोवंश को आजाद करवाया। अंग्रेजी शासन काल के दौरान किसी बूचड़खाने को तोड़ने की यह पहली बड़ी घटना थी। हरफूल जाट के इस कारनामे से खुश होकर नैन खाप  द्वारा हरफूल जाट को सवा शेर की उपाधि प्रदान की गई हरफूल जाट का पगड़ी पहनकर सम्मान किया गया। उसके बाद हरफूल जाट को जहां भी पता चलता कि यहां कोई कसाई खाना चलाया जा रहा है वह वहां पहुंचकर उसे कसाई खाने को सदा के लिए बंद करवा देते थे। इससे उसे समय मुसलमानों और अंग्रेजों का कसाई खाने का धंधा चौपट हो गया। अंग्रेजी पुलिस ने उन्हें पकड़ने की काफी कोशिश की परंतु उनका रौब और भय इतना था की कोई उनका पता नहीं बताता था।

गरीबों का मसीहा और औरतों की इज्जत का रखवाला

हरफूल जाट उसे समय बहुत से गरीबों की मदद करते थे उसे समय वह ब्रिटिश काल के अफसर और बड़े जमींदारों को लूट कर उनका धन गरीबों में बांट देते थे। इसके अलावा हर फूल जाट को जब भी खबर मिलती की कही पर औरतों के साथ अत्याचार हुआ है तो वह वही पहुंच जाते थे और अत्याचारी को मौत के घाट उतार देते थे। उन्होंने कई महिलाओं से दुराचार के आरोपियों को मौत के घाट उतार दिया था। इसके बारे में उनके कई किस्से प्रचलित है फिर कभी किसी लेख में उनके किस्सों का जिक्र करेंगे।

हरफूल जाट की गिरफदारी और उनके बलिदान की कहानी

अंग्रेजी सरकार ने हरफूल जाट के ऊपर बड़ा इनाम रख दिया था और उन्हें पकड़ने के लिए एडी से चौटी तक का जोर लगा दिया था। एक बार हरफूल जाट अपनी मुंह बोली बहन के पास मिलने के लिए गए हुए थे। वे राजस्थान के झुंझुनू जिले के पचेरी कला गांव में गए हुए थे। हरफूल जाट ने अपनी इस मुंह बोली बहन की शादी खुद ही करवाई थी यह झुंझुनू जिले के एक प्रसिद्ध जमींदार घराने में ब्याही गई थी अपनी बहन से मिलने के बाद हरफूल वहां पर अपने एक ठाकुर दोस्त के पास चले गए। उनके उसे ठाकुर दोस्त ने इनाम के लालच में अंग्रेजी सरकार से संठगाँठ करके हरफूल को पुलिस से पकड़वा दिया। उसके बाद पुलिस ने उन्हें राजस्थान के फिरोजपुर में शिफ्ट कर दिया। और रात के समय हर फूल को फांसी पर चढ़कर उनकी लाश को सतलुज नदी में बहा दिया गया। अंग्रेजी सरकार को डर था कि अगर जनता को हर फूल की गिरफ्तारी का पता चल गया तो जनता बड़ा विद्रोह कर सकती है। तो इस तरह से एक गद्दार दोस्त की वजह से एक महान गौ रक्षक योद्धा पकड़ा गया और बलिदान हो गया। हरियाणा सरकार ने 27 जुलाई को हरफूल जाट के बलिदान दिवस को गौ रक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है।

इस तरह से सदी के सबसे बड़े गौ रक्षक हरफूल जाट ने अपना जीवन गौ रक्षा एवं समाज सेवा और नारी सम्मान में बलिदान कर दिया। परंतु दुर्भाग्य वास उनकी महान गाथा को बहुत ही कम लोग जानते हैं इसीलिए टाइम्स टुडे ने पहल की है कि इस महान योद्धा के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोग जाने। हम आगे भी उनके जीवन से जुड़ी जानकारियां आप लोगों के साथ साझा करने का पूरा प्रयास करेंगे। हम इस महान गौ रक्षक योद्धा को  नमन करते हैं।

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